गीता के अर्जुन से लेकर हिंद की चादर तक युवाओं के लिए धर्म का शाश्वत संदेश

*✨गीता के अर्जुन से लेकर हिंद की चादर तक युवाओं के लिए धर्म का शाश्वत संदेश*

*💥सनातन धर्म-सेवा, सह-अस्तित्व और संकल्प का सतत प्रवाह*

*🌺सिख धर्म के नौवें गुरू, गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व की बधाइयाँ*

*💐सनातन है, तभी सुरक्षा है, सनातन बचेगा, तभी मानवता बचेगी*

*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश, 18 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अमेरिका की धरती से दिये अपने संदेश में कहा कि ऋषियों की भूमि भारत की आत्मा यदि किसी तत्व में निहित है, तो वह है, सनातन धर्म। यह केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला, सह-अस्तित्व का दर्शन, और शाश्वत मूल्यों की जीवनदायिनी धारा है। आज जब दुनिया अनेक चुनौतियों से जूझ रही है यथा वातावरणीय संकट, मानसिक तनाव, नैतिक पतन और सामाजिक विघटन, ऐसे समय में सनातन धर्म की सार्वकालिक और सार्वभौमिक शिक्षाएं हमारे लिए दिशा और समाधान दोनों प्रदान करती हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सनातन है, तभी सुरक्षा है। सनातन बचेगा, तभी मानवता बचेगी। सनातन धर्म उस मूल चेतना का नाम है जो न किसी कालखंड में बंधा है, न किसी जाति या सीमा में सीमित है। यह एक सतत प्रवाह है, एक ऐसी आध्यात्मिक नदी, जो सबको अपनाती है, सबका कल्याण चाहती है और सबको जोड़ती है।

आज के युवा वर्ग के लिए सनातन धर्म केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि वर्तमान की प्रासंगिकता और भविष्य की संभावनाएं समेटे हुए है। यह धर्म युवाओं को आत्मबल, सेवा, सहनशीलता, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। जब दुनिया वायरल ट्रेंड्स और शॉर्टकट सक्सेस के पीछे भाग रही है, तब सनातन धर्म आत्म-अनुशासन, दीर्घकालिक सोच, और सच्चे उद्देश्यपूर्ण जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और पंथों के बीच का अंतर समझना आज अत्यंत आवश्यक है। पंथ विशेष मत या पूजा-पद्धति पर आधारित होते हैं, जो समय, स्थान और परिस्थिति के अनुसार विकसित होते हैं। ये जलाशयों की तरह होते हैं, स्थिर और सीमित लेकिन धर्म, विशेषतः सनातन धर्म माँ गंगा की तरह है, जो सतत बहती रहती है, सबको शीतलता देती है, और कभी रुकती नहीं। वह धर्म जो न केवल ईश्वर की खोज सिखाता है, बल्कि मनुष्य को कर्तव्यबोध, करुणा और कर्मयोग का मार्ग भी दिखाता है।

आज का युवा सबसे अधिक ऊर्जा और संभावनाओं से परिपूर्ण है। यदि उसकी शक्ति को सही दिशा मिले, तो वह राष्ट्र ही नहीं, पूरी मानवता के भविष्य को आकार दे सकता है। सनातन धर्म का यह स्पष्ट संदेश है, धर्मो रक्षति रक्षितः जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। सर्वे भवन्तु सुखिनः सबका कल्याण ही हमारा परम उद्देश्य है। अहिंसा परमो धर्मः हिंसा से नहीं, प्रेम और सह-अस्तित्व से ही स्थायी समाधान संभव है।

सनातन धर्म युवाओं से केवल भक्ति नहीं चाहता, वह जागरूकता, जिम्मेदारी और जीवंतता चाहता है। गीता का अर्जुन केवल युद्ध में नहीं, आत्म-संशय के विरुद्ध खड़ा होता है। वही अर्जुन आज के हर युवा में छिपा है, जो जब जागेगा, तब परिवर्तन की धारा बहेगी।

सनातन धर्म एक जीवंत, वैज्ञानिक और मानवतावादी जीवन-दर्शन है। इसका उद्देश्य किसी को बांधना नहीं, सबको जोड़ना है। आज जब विचारधाराओं की टकराहट हो रही है, तब सनातन का समन्वयवाद ही स्थायी समाधान है और इस संदेश को लेकर चलने वाले सबसे बड़े दूत हैं हमारे युवा हो सकते है। आइए, हम सब मिलकर इस सतत प्रवाह को आगे बढ़ाएं। सनातन को जानें, समझें, क्योंकि जब तक सनातन है, तब तक मानवता सुरक्षित है।

स्वामी जी ने सिख धर्म के नौवें गुरू, गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व की बधाइयाँ देते हुये कहा कि हिंद की चादर के नाम से प्रसिद्ध गुरु तेग बहादुर जी मानवता के सच्चे रक्षक थे। उनका जीवन सेवा, परोपकार और मानवीय गरिमा के लिए बलिदान की अमिट गाथा है। उन्होंने धर्म की स्वतंत्रता, और दूसरों की आस्था की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व पर उनकी साधना, देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम को नमन।

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