हल्द्वानी, शिक्षा विभाग का विवादों से नाता टूटने का नाम नहीं ले रहा है। अब राज्य स्तर से चयनित और वर्तमान में प्रभावित अतिथि शिक्षकों की मंडल काउंसिलिंग की मैरिट भी आरोपों के घेरे में आ गयी है। वर्ष 2018 में राज्य स्तर से चयनित अतिथि शिक्षकों ने कहा है कि अपर निदेशक (माध्यमिक), कुमाऊं मंडल के कार्यालय द्वारा जो काउंसिलिंग की लिस्ट जारी की गई है उसमें स्टेट मैरिट लिस्ट (2018) से चयनित अतिथि शिक्षकों की पूर्णतया अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय मैरिट के अतिथि शिक्षकों को मैरिट में पीछे दर्शाया गया है, और बाद में ब्लॉक की मैरिट (2015) से चयनित अतिथि शिक्षकों को आगे कर दिया गया है जो कि सरासर गलत है।

दरअसल 2015 में उत्तराखंड के सभी अतिथि शिक्षकों की ब्लॉक स्तर पर मेरिट बनी थी। बाद में 2018 में जब राज्य स्तर की मेरिट बनी तो ब्लॉक के जिन शिक्षकों के गुणांक अधिक थे उनका चयन राज्य स्तर की मेरिट लिस्ट में हुआ। एक साल बाद सरकार द्वारा पुनः अवशेष रह गए अतिथि शिक्षकों को भी नियुक्त किया, लेकिन उनकी नियुक्ति उनके पुराने ब्लॉक लेवल के गुणांक के आधार पर ही की गई।
राज्य स्तर और ब्लॉक स्तर में मैरिट बनाने का आधार ही अलग-अलग था। 2015 में राज्य स्तरीय मैरिट में चयनित लोग ब्लॉक की मैरिट में आगे थे, इसीलिए उनका राज्य स्तर से चयन हुआ।
अतिथि शिक्षकों ने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को प्रेषित पत्र में विभागीय अधिकारियों से कल 5 दिसम्बर को होने वाली काउन्सलिंग को रोकने एवं सही प्रकार जांच कर समानता पूर्वक मैरिट बनाने तथा उसके उपरांत काउन्सलिंग की मांग उच्चाधिकारियों के समक्ष रखी है। साथ ही उन्होंने गड़बड़ी व असमानता होने पर माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड की शरण लेने की विभागीय अधिकारियों को चेतावनी भी दी है।
