1857 की क्रांति के अग्रदूत मंगल पांडे जी की पुण्यतिथि पर परमार्थ निकेतन की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि

💥श्री मंगल पांडे जी की पुण्यतिथि पर आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती की समर्पित
💐देश की समृद्धि तभी संभव है जब युवा आत्मनिर्भर बनें
🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती
8 अप्रैल, ऋषिकेश। आज भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद मंगल पांडे जी की पुण्यतिथि के अवसर पर परमार्थ निकेतन में विशेष हवन कर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने मंगल पांडे जी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम दीपक ‘प्रकाश स्तंभ’ बताते हुए कहा कि मंगल पांडे जी भारत की आत्मा में जागृति का पहला स्वर थे। उनकी निर्भीकता और बलिदान ने पूरे देश में स्वतंत्रता की भावना को जन्म दिया। आज उनके पुण्यस्मरण पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भी राष्ट्रसेवा, सत्य और न्याय के मार्ग पर अडिग रहें।
स्वामी जी ने कहा कि मंगल पांडे जी की निर्भीकता, निडरता और राष्ट्रप्रेम ने गुलामी के अंधकार में स्वतंत्रता की लौ प्रज्वलित की थी। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर समूचे देश को एक संदेश दिया कि अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना ही सच्चा धर्म है।
आज के दिन हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भी राष्ट्रसेवा, सत्य और न्याय के मार्ग पर अडिग रहें। देश की समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना हम सभी का परम कर्तव्य है। भारत एक ऐसा देश है जिसकी पहचान उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिक परंपराओं और विविधता में एकता के लिए होती है। यही सांस्कृतिक धरोहर हमें दुनिया से अलग करती है और हमारी आत्मा को पहचान देती है।
आज के इस आधुनिक युग में जब वैश्वीकरण के प्रभाव से हमारी परंपराएं और मूल्य कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं, ऐसे समय में इनकी रक्षा करना हम सभी का परम कर्तव्य बन जाता है। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को केवल संग्रहालयों तक सीमित नहीं रखना है, बल्कि उसे जीवन का हिस्सा बनाकर अगली पीढ़ी तक पहुंचाना होगा।
उन्होंने कहा कि देश की समृद्धि तभी संभव है जब हम आत्मनिर्भर बनें, अपनी भाषाओं, शिल्प, कृषि, विज्ञान और शिक्षा प्रणाली को सशक्त करें। जब प्रत्येक नागरिक अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए देशहित को सर्वोपरि रखेगा, तभी हमारा भारत एक समृद्ध, सशक्त और सांस्कृतिक रूप से गौरवशाली राष्ट्र बन पाएगा।
स्वामी जी ने कहा कि हमारी संस्कृति हमारी शक्ति है, इसकी रक्षा ही सच्ची देशभक्ति है। मंगल पांडे जी जैसे वीर हमें यही सिखाते हैं कि जीवन केवल अपने लिए नहीं, समाज और राष्ट्र के लिए जिया जाता है। मंगल पांडे जी की क्रांति की ज्वाला केवल इतिहास में ही नहीं बल्कि वह तो एक ऐसी चेतना है, जो आज भी प्रत्येक भारतवासी के अंतर्मन में प्रज्वलित हो सकती है, यदि हम उसके उजाले को अपनाने का संकल्प लें।
परमार्थ गुरुकुल के आचार्यों और ऋषिकुमारों ने विश्व शान्ति यज्ञ में विशेष आहुतियाँ समर्पित कर श्री मंगल पांडे जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।

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